जानिए कैसे एक पाउडर बनाने वाली कंपनी बनी 1 बिलियन $ की ?

वैसे तो दाग किसी भी तरह के अच्छे नहीं होते लेकिन सर्फ एक्सेल ने अपने विज्ञापन ने इस सोच के उलट अपना स्लोगन बनाया ‘दाग अच्चे हैं’. तो मार्केटिंग रणनीति का कमाल देखिए आम और खास सभी तरह के लोगों ने हर तरह के दाग को धोने के लिए सर्फ एक्सेल का दिल खोल के स्वागत किया. HUL भारतीय बाजार में छह दशकों से कारोबार कर रहा है. 1985 में निरमा ने इसे कड़ी चुनौती दी थी, लेकिन उसके जवाब में कंपनी ने व्हील डिटर्जेंट लॉन्च किया. आज की तारीख में 10 रुपये के पैकेट की बढ़ती लोकप्रियता के चलते सर्फ एक्सेल की बिक्री में 32 फीसदी की वृद्धि हुई.

Hindustan Unilever Limited

हिंदुस्तान युनिलिवर लिमिटेड एक इंग्लैंड की कंपनी यूनीलीवर का एक भाग है, जो भारत में यूनीलीवर ने भारत में पंजीकृत कराया। इसका मुख्यालय लंदन, इंग्लैंड में हैं। इसका भारत में मुख्य कार्यालय मुम्बई में है। इसका 67% लाभांश इंग्लैंड में जाता है। हिंदुस्तान युनिलिवर लिमिटेड व्यापार करने के लिए भारत में उत्पाद भारत में इसके कई उत्पाद बिकते हैं। यह भारत में अपने कारोबार का 67% हिस्सा इंग्लैंड भेजती है और बाकी का भारत में कारोबार और बढ़ाने व लाभ को बढ़ाने आदि में खर्च करती है। नीलसन नामक एक कंपनी के द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पता चला की हर तीन में से 2 भारतीय इस इंग्लैंड की कंपनी का उत्पाद खरीद रहे हैं

सर्फ एक्सेल

आज सर्फ एक्सेल भारत में सबसे पॉपुलर डिटरजेंट पाउडर है. डिटरजेंट मार्केट में यह एक लीडर कंपनी बन चुकी है. यह हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) का सबसे लोकप्रिय ब्रांड है जिसका सालाना 1 बिलियन डॉलर हो कंपनी के इस गया. कंपनी के अनुसार ब्रांड ने साल 2022 के दौरान बिक्री में 8,200 करोड़ रुपये की कमाई की है.

कैसे सर्फ एक्सेल का बढ़ा कारोबार ?

दरअसल हिंदुस्तान युनिलीवर के मुताबिक पिछले दो दशक के दौरान सर्फ एक्सेल की बिक्री 50 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई. जबकि पिछले साल सर्फ एक्सेल ने 82 सौ करोड़ का कारोबार किया. आज की तारीख में इस प्रोडक्ट की भारत में अकेले 20 फीसदी हिस्सेदारी है. विज्ञापन का स्लोगन आया काम Surf Excel के इस मुकाम पर पहुंचने की यात्रा की बात करें तो ये बहुत आसान नहीं रही है. इसने मार्केट लीडर बनने के लिए कई चुनौतियों का सामना भी किया है. हिंदुस्तान युनिलीवर की इस सफलता में इसके विज्ञापन में इस्तेमाल किए गए स्लोगन का जिक्र करना बेहद जरूरी है. दरअसल, ये टैगलाइन शुरुआत में कुछ अजीब सी लगी थी, लेकिन इसके पीछे की धारणा की बात करें तो ‘दाग अच्छे हैं…’ के जरिए कंपनी ये संदेश देती नजर आ रही थी कि ‘अगर आप कुछ अच्छा करते समय गंदे हो जाते हैं, तो दाग अच्छे हैं.’

1996 में पेश किया था सर्फ एक्सेल

इस FMCG कंपनी का बीते कुछ सालों का सेल्स रिकॉर्ड जबरदस्त रहा है. इससे पहले 2019 में कंपनी ने 5375 करोड़ रुपये की सालाना कमाई की थी. कंपनी भारत में करीब छह दशक से कारोबार कर रही है. इसने 1996 में सर्फ एक्सेल को सबसे पहले-लंदन के बाजार में पेश किया था. इसके बाद यह भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में पहुंचा. देश में एक खास स्ट्रेटजी के तहत पेश किए गए इस ब्रांड ने न केवल शहरों, बल्कि छोटे कस्बों से लेकर गांवों तक के मार्केट पर अपनी पकड़ बनाई. शहरों के साथ गांवों के मार्केट पर पकड़: कपड़े धोने के लिए सस्ते डिटर्जेंट पाउडर को अपनाने वाले भी सर्फ एक्सेल जैसे ब्रांड का इस्तेमाल कैसे करें इसके लिए कंपनी की रणनीति का एक उदाहरण ये है कि इसने महज 10 रुपये के पैकेट में सर्फ एक्सेल को बाजार में उतारा. इसका कंपनी को जबरदस्त फायदा हुआ और देखते ही देखते ये ब्रांड शहरों से लेकर गांव तक में फेमस हो गया और मार्केट पर कब्जा जमा लिया.

निरमा से चुनौती

साल 1985 में अहमदाबाद की कंपनी निरमा ने डिटर्जेंट मार्केट ने सर्फ एक्सेल को बड़ी चुनौती पेश कर दी. निरमा ने अपनी बाजार रणनीति से सर्फ एक्सेल को पछाड़ दिया. जिसके जवाब में हिंदुस्तान यूनिलीवर ने सस्ते डिटर्जेंट को उतारा-वो था व्हील. कम कीमत में व्हील के झाग और चमक ने कंपनी को फायदा पहुंचा दिया.

निरमा, घड़ी-एरियल को पीछे छोड़ा डिटर्जेंट मार्केट में समय समय पर पहले से पकड़ बनाए हुए निरमा, घड़ी और एरियल जैसे ब्रांड्स से मुकाबले के लिए उतरे सर्फ एक्सेल ने अपने कारोबार में ऐसी रफ्तार पकड़ी कि इन सभी को पीछे छोड़ दिया और इस सफलता का नतीजा ये है आज 1 Billion Dollar का ब्रांड बन चुका है. सर्फ एक्सेल भारत के अलावा, अमेरिका, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल सबसे पसंदीदा डिटरजेंट पाउडर ब्रांड बन चुका है.

हिंदुस्तान यूनिलीवर की शुरुआत

1927 में, डच-मार्जरीन निर्माता (Dutch-Margarine producer), मार्जरीन यूनी और ब्रिटिश साबुन निर्माता लीवर ब्रदर्स ने यूनिलीवर बनाने के लिए अपनी कंपनियों को मिला दिया। यूनिलीवर एक ब्रिटिश- डच फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (British-Dutch fast-moving consumer goods) कंपनी है।

यूनीलीवर द्वारा वर्ष 1933 में भारत में लीवर ब्रदर्स के रूप में इस कंपनी की स्थापना की गयी। जो वर्ष 1956 में लीवर ब्रदर्स, हिंदुस्तान वनस्पति मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड ट्रेडर्स लिमिटेड के जुड़ने पर परिणामस्वारूप ‘हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड’ के नाम से जाना जाने लगा। यह 16,000 से अधिक लोगों को रोज़गार (employment) देता है। वर्ष 1984 में ब्रुक बॉन्ड (Brooke Bond) यूनीलीवर से जुड़ गया इसके बाद 1986 में चेसेब्रो (Cheesebro) पोंड्स (Ponds) लिमिटेड भी यूनीलीवर में शामिल हो गयी। इसके बाद जून 2007 में कंपनी का नाम बदलकर ‘हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड’ कर दिया गया था। विदेशी सहायक कंपनियों में से यह सबसे पहली कंपनी थी जिसने भारतीय जनता को अपनी इक्विटी (Equity) का 10% देने का प्रस्ताव दिया।

1937 में इन्होंने घी की एवज़ में डालडा (Dalda) को प्रस्तुत किया। लेकिन इसकी बिक्री शुरु होने से पहले ही खत्म हो गयी, क्योंकि भारत की जनता को विश्वास नहीं हो रहा था कि घी का भी कोई अन्य विकल्प हो सकता है। तब लीवर कंपनी ने इसको लोगों के समक्ष विज्ञापन (advertising) के द्वारा पेश किया। उस समय डालडा का कोई भी अन्य प्रतिद्वंद्वी नहीं था, लेकिन लोगों ने इसपर विवाद करना शुरू कर दिया।

1950 के दशक में इसे बंद करने का यह विवाद तेज हुआ लोगों ने कहा कि डालडा देसी घी का एक मिलावटी रूप था, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक था। तब तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रव्यापी राय सर्वेक्षण की मांग की, जो अनिश्चित साबित हुई। इसके उपरांत घी में मिलावट को रोकने के तरीकों का सुझाव देने के लिए सरकार द्वारा एक समिति की स्थापना की गई थी, लेकिन उससे भी कोई हल नहीं निकला।

फिर 1990 के दशक तक डालडा को काफी नुक्सान झेलना पड़ा क्योंकि तब डालडा के प्रतिद्वंद्वी तेल या परिष्कृत वनस्पति तेल बाजार में आ चुके थे। इसके बाद 2007 में डालडा के तहत खाद्य तेल का निर्माण किया गया था।

शुरूआती वर्षों से ही, हिंदुस्तान यूनिलीवर ने आर्थिक विकास के प्रोत्साहन के लिए जोरदार प्रतिक्रिया दी है और यह प्रक्रिया विवेकपूर्ण विविधीकरण (judicious diversification) के साथ हमेशा भारतीय विचारों और आकांक्षाओं के अनुरूप रही है। 1991 में शुरू हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण ने स्पष्ट रूप से एचयूएल और समूह के विकास की यात्रा में एक मोड़ लिया। भारत के कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे बड़ी घटना तब हुई जब 1 अप्रैल 1993 को पूर्ववर्ती टाटा ऑयल मिल्स कंपनी एचयूएल में शामिल हो गयी। 1996 में, एचयूएल और एक अन्य टाटा कंपनी, लैक्मे लिमिटेड (Lakmé Limited) का HUL में विलय हो गया ।

एचयूएल ने 1994 में अमेरिका स्थित किम्बल क्लार्क कॉरपोरेशन (Kimberly Clark Corporation), किम्बर्ली-क्लार्क लीवर लिमिटेड के साथ 50:50 का संयुक्त उद्यम बनाया था, जो हग्गीज डायपर (Huggies Diapers) और कोटेक्स सेनेटरी पैड (Kotex Sanitary Pads) की सेलिंग करता था। एचयूएल ने नेपाल में यूनिलीवर नेपाल लिमिटेड (Unilever Nepal Limited ) नामक एक सहायक कंपनी भी स्थापित की जिसका कारखाना हिमालयी साम्राज्य में सबसे बड़े विनिर्माण निवेश का प्रतिनिधित्व करता है। यूएनएल फैक्ट्री एचयूएल के उत्पादों जैसे साबुन, डिटर्जेंट और अन्य उत्पादों का निर्माण घरेलू बाजार और भारत में निर्यात दोनों के लिए करती है।

1990 के दशक में खाद्य और पेय पदार्थ के मोर्चे पर अधिग्रहण और गठजोड़ की एक कड़ी देखी गई। 1992 में, तत्कालीन ब्रुक बॉन्ड (Brooke Bond) ने इंस्टेंट कॉफी में महत्वपूर्ण हितों के साथ कोठारी जनरल फूड्स का अधिग्रहण किया। 1993 में, इसने यूबी समूह से किसान व्यवसाय (Kissan business from the UB Group) और कैडबरी इंडिया से डॉलप्स आइसक्रीम व्यवसाय (Dollops Icecream business from Cadbury India) का भी अधिग्रहण किया।

पिछड़े एकीकरण के उपाय के रूप में, यूनिलीवर की दो बागान कंपनियों टी एस्टेट्स और डूम डूमा को ब्रुक बॉन्ड में मिला दिया गया। फिर 1994 में, ब्रुक बॉन्ड इंडिया और लिप्टन इंडिया का विलय ब्रुक बॉन्ड लिप्टन इंडिया लिमिटेड के रूप में हुआ, जिससे व्यवसाय में अधिक मुनाफा हुआ। 1994 में Brooke Bond Lipton India Limited ने वॉल की फ्रोजन डेसर्ट लॉन्च (Wall’s range of Frozen Desserts) की। वर्ष के अंत तक, कंपनी ने क्वालिटी आइसक्रीम समूह (Kwality Icecream Group) के साथ एक रणनीतिक गठबंधन बनाया और 1995 में मिल्कफूड (Milkfood) आइसक्रीम का भी अधिग्रहण कर लिया। अंत में, बीबीएलआईएल का 1 जनवरी, 1996 से हिंदुस्तान यूनिलीवर यानि एचयूएल में विलय (शामिल) हो गया। सन 1998 में के साथ पॉन्ड्स (इंडिया) लिमिटेड (पीआईएल) भी शामिल हो गयी।

एचयूएल जनवरी 2000 में, एक ऐतिहासिक घटना तब हुई जब सरकार ने एचयूएल को मॉडर्न फूड्स (Modern Foods) में 74 प्रतिशत इक्विटी देने का फैसला किया, जिससे public sector undertakings में सरकारी इक्विटी का निजी क्षेत्र के भागीदारों को विनिवेश शुरू हो गया। वर्ष 2002 में, एचयूएल ने मॉडर्न फूड्स में सरकार की शेष हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया।

एचयूएल ने 2000 के दशक की शुरुआत में कई नई व्यावसायिक पहल शुरू कीं। प्रोजेक्ट शक्ति (Project Shakti ) 2001 में शुरू की गई थी, यह एक ग्रामीण समृद्धि को उत्प्रेरित करती अनूठी पहल थी।

हिंदुस्तान यूनिलीवर नेटवर्क, डायरेक्ट टू होम बिजनेस (Direct to home business ) को 2003 में लॉन्च किया गया था और इसके बाद 2004 में ‘प्योरिट’ वाटर प्यूरीफायर (‘Pureit’ water purifier) लॉन्च किया गया था। इसी तरह कारवां बढ़ता गया और 18 मई 2007 को 74वीं एजीएम (Annual general meeting) के दौरान शेयरधारकों की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद कंपनी का नाम औपचारिक रूप से हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड में बदल दिया गया था।

ब्रुक बॉन्ड और सर्फ एक्सेल ने उसी वर्ष 1,000 करोड़ रुपये की बिक्री कर एक बड़ी कामयाबी हासिल की और 2008 में 2,000 करोड़ की बिक्री कर मील का पत्थर बन गया।

17 अक्टूबर 2008 को, एचयूएल ने भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र के 75 वर्ष पूरे किए। जनवरी 2010 में, एचयूएल का मुख्य कार्यालय मुंबई के बैकबे रिक्लेमेशन (Backhay Reclamation, Mumbai ) में स्थित लैंडमार्क लीवर हाउस से अंधेरी (ईस्ट), मुंबई में नए परिसर में स्थानांतरित हो गया। 15 नवंबर, 2010 को, यूनिलीवर सस्टेनेबल लिविंग प्लान (Unilever Sustainable Living Plan) को आधिकारिक तौर पर नई दिल्ली में लॉन्च किया गया था।

इसके बाद मार्च, 2012 में एचयूएल के अत्याधुनिक लर्निंग सेंटर का उद्घाटन मुंबई के अंधेरी में हिंदुस्तान यूनिलीवर परिसर में किया गया था। इसके अलावा अप्रैल, 2012 में, मुंबई के अंधेरी में हिंदुस्तान यूनिलीवर परिसर में ग्राहक अंतर्दृष्टि और नवाचार केंद्र (Customer Insight & Innovation Centre) का उद्घाटन किया गया था। और इस तरह एचयूएल ने 17 अक्टूबर, 2013 को भारत में कॉर्पोरेट यात्रा के 80 साल पूरे किए।

2013 में, एचयूएल ने ‘प्रभात’ (‘Prabhat’ (Dawn)) एक यूनिलीवर सस्टेनेबल लिविंग प्लान (Unilever Sustainable Living Plan) से जुड़ा कार्यक्रम शुरू किया, जो इसके निर्माण स्थलों के आसपास स्थानीय समुदायों के विकास योगदान करने के लिए था। इसके अलावा, एशिया में यूनिलीवर के पहले एरोसोल संयंत्र (aerosol plant) का उद्घाटन 2013 में महाराष्ट्र के खामगांव में किया गया था।

2013 में शुरू किये जाने वाले ‘विनिंग इन मैनी इंडियाज’ (Winning in Many Indias) ऑपरेटिंग फ्रेमवर्क को 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया गया। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में मौजूदा बिक्री कार्यालयों के अलावा लखनऊ, इंदौर और बैंगलोर में भी कार्यालयों का शुभारंभ किया गया जिससे कार्यालयों का विस्तार चार से सात तक हो गया।

2015 में, एचयूएल ने आयुर्वेद से जुड़ने के लिए प्रीमियम हेयर ऑयल ब्रांड इंदुलेखा (Indulekha) का अधिग्रहण किया। एचयूएल ने निम्मन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को (Nimman Foods Private Limited) “मॉडर्न” ब्रांड के तहत अपने ब्रेड और बेकरी व्यवसाय (bread and bakery business ) की बिक्री के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। 2016 में, एचयूएल ने मुंबई की सबसे बड़ी मलिन बस्तियों में से एक, आजाद नगर, घाटकोपर में अपनी तरह का पहला शहरी जल, स्वच्छता और स्वच्छता सामुदायिक केंद्र ‘सुविधा’ (Suvidha) रण किया। इसके बाद 11 मार्च 2017 को असम के डूम डूमा इंडस्ट्रियल एस्टेट (Doom Dooma. Industrial Estate) में एक नई अत्याधुनिक विनिर्माण सुविधा शुरू की गई।

2018 में, एचयूएल HUL ने विजयकांत डेयरी एंड फूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड और उसकी समूह कंपनी के साथ अपने आइसक्रीम और फ्रोजन डेसर्ट व्यवसाय का अधिग्रहण करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें इसके प्रमुख ब्रांड ‘आदित्य मिल्क’ और फ्रंट-एंड वितरण नेटवर्क शामिल थे। 2020 में, एचयूएल ने महिलाओं की स्वच्छता हेतु में मार्केट लीडर वीवॉश के अधिग्रहण की घोषणा की, 2020 में, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के साथ जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर (GSK Consumer Healthcare) के जुड़ने के साथ ही, आइकॉनिक हेल्थ फूड ड्रिंक ब्रांड – हॉर्लिक्स और बूस्ट एचयूएल के खाद्य और रिफ्रेशमेंट (foods & refreshment) में शामिल हो गए, जिससे यह भारत में सबसे बड़ा एफ एंड आर व्यवसाय (largest F&R ( Foods and Refreshments) business in India) बन गया।

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